बिहार में कामयाब नहीं होगा बसपा प्रमुख का गेम प्लान
लखनऊ। दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज एवं आदिवासी संगठनों का परिसंघ (डोमा) के राष्टï्रीय अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. उदितराज ने कहा कि बसपा प्रमुख मायावती बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का नाम लेकर दलितों को भ्रमित कर रहीं हैं। वास्तविकता ये है कि मायावती लंबे समय से भाजपा के लिए काम कर रहीं हैं। उनके मुंह में जरूर अम्बेडकर का नाम रहता है, लेकिन उनके दिल में भाजपा और उसका चुनाव निशान कमल ही रहता है।

यही वजह है कि वे दलित हित को छोडक़र हर वह काम करतीं हैं, जिससे सिर्फ और सिर्फ भाजपा को ही फायदा हो। मायावती ने बहुजन नायक कांशीराम जी के निर्वाण दिवस पर लखनऊ में रैली की। रैली में उमड़ी दलितों की भीड़ से उत्साहित मायावती को भाजपा और यूपी के मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करना याद रहा, लेकिन उन्हें रायबरेली में दलित युवक हरिओम बाल्मीकि की हत्या का दर्द, हरियाणा के आईपीएस वाई पूरन द्वारा मनुवादी व्यवस्था से पीडि़त होकर आत्महत्या करने का दर्द याद नहीं रहा और न ही उन्होंने इन घटनाओं पर खेद व्यक्त किया व इस मामले में सरकार को भी कटघरे में नहीं खड़ा किया।
उनके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ सपा और कांग्रेस रही। जबकि देश में संविधान बचाने और आरक्षण बचाने की लड़ाई इंडिया गठबंधन व उसके सहयोगी दल ही लड़ रहे हैं। डॉ. उदित राज ने कहा कि देश के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवइर्ï पर जूता फेंकने की घटना जिससे पूरा दलित समाज अपमानित हुआ, इस मामले में भी मायावती की चुप्पी से साफ है कि उन्हें दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यकों की परेशानी और दर्द से उनका कोई लेनादेना नहीं है।
डॉ. उदितराज ने कहा कि उन्होंने कहा कि अगर प्रधान न्यायाधीश दलित समाज से न होते तो क्या उनपर कोई जूता फेंकने की हिमाकत करता, यदि करता तो उसका अंजाम क्या होता, वह देशद्रोह में जेल में होता, ऐसे खुलेआम घूमता न दिखता। टिकटार्थियों की भीड़ जुटाने और टिकट के दाम बढ़ाने के लिए कांशीराम जी के निर्वाण दिवस पर रैली की। उनकी इस रैली का मकसद बिहार चुनाव में भाजपा को लाभ पहुंचाना भी है, लेकिन इस बार सीट की तो बात छोड़़ो, बिहार में आधा फीसदी वोट भी बसपा को नहीं मिलेगा। जिस मकसद से वे बिहार की सभी सीटों पर लड़ रहीं हैं, वह भी पूरा नहीं होगा, क्योंकि इस बार बिहार में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने जा रही है।