यूपी में साल भर में भरे जाएंगे दलितों के लिए आरक्षित पद : दीनानाथ भास्कर

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राज्य सरकार एक साल में सभी विभागों में खाली पड़े आरक्षित पदों को भरने के लिए संकल्पित

कमल जयंत

उत्तर प्रदेश विधानसभा में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विमुक्त जातियों की संयुक्त समिति के सभापति और भाजपा विधायक दीनानाथ भास्कर का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी राज्य में सभी विभागों में खाली पड़े आरक्षित पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरना चाहते हैं। उन्होंने निर्देश भी दिये हैं कि दलितों के लिए आरक्षित पदों पर हर हाल में नियुक्तियां हो जाएं। इसके लिए हर विभाग से बात करके खाली पड़े आरक्षित पदों की सूची मंगवाकर सालभर में दलितों का बैकलॉग भरा जाए। जरूरत हो तो इनकी नियुक्तियों के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाया जाए। भास्कर ने कहा कि सभी विभागों में दलित वर्ग के लिए आरक्षित कितने पद रिक्त चल रहे हैं, इस संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए हफ्ते में दो विभागों के साथ बैठक की जाएगी। उनका कहना है कि बैठकों की शुरुआत हो चुकी है।

बिजली विभाग और नगर विकास विभाग के अधिकारियों को बुलाकर वहां खाली पड़े पदों के बारे में जानकारी हासिल की गयी। साथ ही बिजली विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये गये कि उन्हें विभाग में खाली पड़े पदों पर भर्ती करने के लिए किसी आयोग को नहीं भेजना है। विभाग का अपना खुद का भर्ती बोर्ड है। ऐसी स्थिति में विभागीय अधिकारियों से कहा गया कि वे भर्ती बोर्ड के जरिए दलितों के बैकलॉग को भरकर समिति को अवगत करायें। दीनानाथ भास्कर ने विधानसभा की गठित इस समिति के अधिकार और कार्यक्षेत्र के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।

दलित उत्पीडऩ की घटनाएं समाज के लिए शर्मनाक 

साथ ही राज्य में हो रहे दलित उत्पीडऩ की घटनाओं पर साफ शब्दों में कहा कि समाज में घटनाएं होती हैं जो शर्मनाक हैं, नहीं होनी चाहिए। सरकार की नेकनीयती या बदनीयती का पता तो इस बात से लगाया जा सकता है कि घटना घटित होने के बाद सरकार दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई कर रही है या नहीं। उन्होंने कहा कि चाहे लखनऊ में बुजुर्ग दलित के साथ अमानवीय व्यवहार का मामला हो या रायबरेली में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या करने का मामला हो, हमारी सरकार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके यह संदेश दिया है कि प्रदेश में किसी भी कमजोर व्यक्ति या वंचित समाज का उत्पीडऩ नहीं होने दिया जाएगा। योगी जी द्वारा की गयी सख्त कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि यूपी में सरकार का इकबाल कायम है। दीनानाथ भास्कर से इन्हीं तमाम सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बात हुई। उन्होंने बहुत ही बेबाकी के साथ सारे सवालों के जवाब दिये।

सवाल- राज्य में लंबे समय से सरकारी विभागों में नियुक्तियां नहीं हुई हैं। दलितों के लिए आरक्षित हजारों पद खाली हैं। आपकी समिति इस दिशा में कोई पहल कर रही है।                                                                                                                                           जवाब- विधानसभा की अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विमुक्त जातियों की संयुक्त समिति जिसका मैं सभापति हूं। इस समिति ने सरकारी विभागों के आला अधिकारियों के साथ बैठकें शुरू कर दीं हैं। इन अधिकारियों से उनके विभाग में दलित वर्ग के लिए खाली पड़े आरक्षित पदों की सूची मांगी गयी है। उम्मीद है कि वे जल्द ही सूची उपलब्ध कराएंगे। सूची मिलते ही आरक्षित पदों पर नियुक्तियों का काम शुरू हो जाएगा। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री योगी जी ने साफ शब्दों में कहा है कि एक साल के अंदर राज्य के सभी विभागों में खाली पड़े दलितों के लिए आरक्षित पदों को भरा जाए। समिति ने इस हफ्ते बिजली और नगर विकास विभाग के अधिकारियों की एक बैठक बुलायी थी और उन्हें इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिये जा चुके हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि एक साल के अंदर दलितों के बैकलॉग को विशेष भर्ती अभियान चलाकर पूरा किया जाएगा।

सवाल- क्या राज्य में दलित उत्पीडऩ एवं अत्याचार निवारण अधिनियम का दुरुपयोग हो रहा है।
जवाब- ये गलत है। इस एक्ट का कतई दुरुपयोग नहीं हो रहा है। सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर दलित समाज अपने खिलाफ हो रहे उत्पीडऩ का तो सही से विरोध नहीं कर पाता। तो वह इस एक्ट का दुरुपयोग कैसे कर पाएगा। हमारी सरकार दलितों का उत्पीडऩ करने वालों के खिलाफ सख्त है। किसी भी दलित के उत्पीडऩ का मामला संज्ञान में आने पर सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती है। हमारी सरकार में अपराधियों के हौसले पस्त हैं। दलित उत्पीडऩ करने वालों के खिलाफ सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। हां ये सही है कि कुछेक लोग इस एक्ट का दुरुपयोग करके सरकारी धनराशि ले रहे हैं। इसका मतलब ये नहीं है कि एक्ट गलत है और एक्ट को निष्प्रभावी कर दिया जाना चाहिए। दलित एक्ट ही नहीं ऐसे तो बहुत सारे एक्ट हैं, जिनका काफी दुरुपयोग होता है और समाज में लोगों को इसकी जानकारी भी है, लेकिन वे उन अधिनियमों को हटाने या निष्प्रभावी करने की बात कभी नहीं करते।

सवाल- आम चर्चा यही है कि भाजपा दलित विरोधी है और दलितों के आरक्षण को खत्म कर रही है।
जवाब- ये कहना बिल्कुल गलत है। आज से पांच साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि दलित उत्पीडऩ के मामले में पहले विवेचना की जाए उसके बाद प्राथमिकी दर्ज की जाए। भाजपा सरकार ने संसद में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया और कहा कि दलित उत्पीडऩ के मामले में पहले एफआईआर होगी और बाद में विवेचना होगी। भाजपा के इस निर्णय की वजह से वह उस समय मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव हार गयी थी।

सवाल- दलितों और वंचितों के खिलाफ हो रहे उत्पीडऩ को कैसे रोका जा सकता है।
जवाब- इसके लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना होगा। क्योंकि सामाजिक संगठन इनके बीच काम करते हैं और ये समाज उन पर भरोसा भी करता है। अगर ये संगठन आगे बढक़र पहल करेंगे तो उत्पीडऩ की घटनाएं जरूर रुकेंगी। सरकार तो किसी घटना के घटित होने या उसकी जानकारी होने पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके यह व्यवस्था देती है कि आगे इस तरह के अमानवीय कृत्य न हो सकें। लेकिन सामाजिक संगठन इस दिशा में आगे आयेंगे तो इसका सकारात्मक प्रभाव समाज पर पड़ेगा।

सवाल- गांवों में आवासीय और कृषि भूमि का दलितों को पट्टा तो दे दिया गया है, लेकिन उन्हें स्थल पर कब्जा नहीं दिया गया है। इसके लिए आपकी समिति क्या कर रही है।
जवाब- समिति ने राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक बैठक बुलाई थी। बैठक में प्रमुख सचिव राजस्व व अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। उन्हें स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि वे राज्य के सभी जिलों में गांवों में जिन दलितों को आवासीय और कृषि योग्य भूमि का पट्टा मिल गया है, उन्हें उस जमीन का हर हाल में कब्जा दिलाया जाए। अगर कब्जा दिलाने में किसी तरह की कोई कानूनी अड़चन आ रही हो तो उसकी पैरवी कराके उस समस्या का समाधान किया जाए। दलितों, पिछड़ा वर्ग और गरीब सवर्णों को आवंटित जमीन पर किसी ने अदालत से स्थगनादेश ले लिया हो तो उसे पैरवी करके खारिज कराया जाए और जिन्हें जिस जमीन का पट्टा मिला है, उस जमीन पर उन्हें कब्जा दिलाया जाये।

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